[ad_1]
Published By : Jivani.org
नाम : जी. माधवन नायर
जनम तिथी : 31 अक्टूबर 1943 आयू 76
ठिकाण : कुलशेखरम, त्रावणकोर
व्यावसाय : खगोल विज्ञानी
प्रारंभिक जीवनी :
जी. माधवन नायर का जनम 31 अक्टूबर 1943 को कुलशेखरम, त्रावणकोर राजया अब कन्याकूमारी जिले, तामिलनाडू भारत मे हुआ था | उन्होंने बीएससी केरल विश्वाविघ्यालय से स्त्रातक कि पढाई पूरी कि थी | इलेक्ट्रॉनिक्सा और संचार इंजिनियरिंग से अपनी इंजिनियर कि डिग्री हासिल कि थी उन्होंने पढाई के बाद भाभा परमाणू अनूसंधान केंद्र BARC ट्रेनिंग सकूल मुंबई मे एक प्रशिक्षक कार्यक्रम मे भाग लिया था |
कार्य :
जी. माधवन नायर एक भारतीय अंररिक्ष अनूसंधान संगठन के पूर्व अध्याक्ष और अंतरक्षि विभाग, भारतसरकार के सचिव थे | वह अंतरिक्ष आयोग के अध्याक्ष और एंट्रिक्सा कॉर्पोरेशन बैंगलोर के गवर्निग बॉडी के अध्याक्ष भी रहे है | वह भारतीय प्रौघोगिकी संस्थान पटना के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्याक्ष थे | जब तक कि उन्होंने एंट्रिक्सा से जुडे रेडियो स्पेट्रम बैंडविउथ कि विब्री से संबंधीत एक विवादास्पद सौदे मे अपनी भागीदारी के कारण पद छोड दिया था | बाद मे उनहें किसी भी सरकारी पद संभालने से रोक दिया गया था |
नायर रॉकेट प्रणालियों के क्षेत्र मे एक प्रमूख प्रौघोगिकीविदू है | और उसने स्वदेशी प्रौघोगिकीयों का उपयोग करके अंतरिक्ष मे स्वतंत्र पहूंच मे आत्मनिर्भरता प्राप्त करते हुए, मल्टी-स्टेज सैटेलाअठ लॉन्च के विकास मे महत्वापूर्ण् योगदान दिया है | नायर और उनकी टीम ने विश्वा स्तर के लॉन्च वाहन प्रणालियों का एहसासा करने के लिए कई नवाचारों और उपन्यास तकनीको को अपनाकर प्रौघोगिकी खंडन कि व्यावस्था मे कई चुनौयिा का सामना करने के लिए अपने काम को आगे बढाया है |
भारत आज प्रक्षेपण यान प्रौघोगिकि के क्षेत्र मे अंतरिक्ष मे अग्रणी देशों के बीच एक स्थान रखता है | विशेष रुप से, परियोजना निदेशक के रुप मे उन्होंने घ्रूवीय उपग्रह लॉन्च वाहन PSLV के विकास का नेतृतवा किया , जो तब से मुख्या रुप से भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रहो को लॉन्च करने का कार्यक्षेत्र बन गया है |
इसरो के सबसे बडे अनूसंधान एवं विकास केंद्र विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के निदेशक के रुप मे कार्य किया है | उनहेांने जीएसएलबी के लिए महत्वापूर्ण क्रायोजेनिक इंजन के डिझााइन और विकास मे एक केंद्रीय भूमिका निभाई थी | भारतीय अंतरिक्ष अनूसंधाान संगठन के अध्याक्ष के रुप मे नायर को अंतरिक्ष प्रौघोगिकी के विकास और राष्ट्रीय विकास के लिए इसके आवेदन की जिम्मेदारी सोपी गई है |
अंतर्राष्ट्रीय क्षैत्र मे नायर ने कई अंतरिक्ष एजेंसियों और देशो के साथ व्दिपक्षीय सहयोग और वार्ता के लिए भारतीय प्रतिनिधीमंडल का नेतूत्वा किया है | भारत के सामाजिक आर्थीक लाभ के लिए अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौघोगिकी को बढावा दिया है | वह इंट्रिक्सा कॉरपोरेशन बैंगलोर के शासी निकाय के अध्याक्ष भी है |
वह नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर नही बन गया था | वह 2004 मे एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के अध्याक्ष थे | 2006 मे इंटरनेशनल एकेडेमी ऑफ एस्ट्रोनॅाटिक्सा आयएए कि साइंटिफिक एक्टिविटि कमेटी के उपाध्याक्ष भी थै | वह आयएए के एकमात्र भारतीय और पहले गैर अमेरिकी है |
पुरस्कार और सम्म्मान :
1) नेशनल एरोनॉटिकल अवार्ड से सम्मनित|
2) FIE Foundation का अवार्ड से सम्मानित|
3) श्री ओम प्रकाश भसीन अवार्ड से सम्मानित|
4) स्वदेशी पूरस्कार से सम्मानित|
5) विक्रम साराभाई मेमोरियल गोल्ड मेडल से सम्मानित|
6) 2004 मे मेमोरियल अवार्ड से सम्मानित|
7) 2005 मे एचके फिरोदिया अवार्ड|
8) एम. पी. बिडला मेमोरियल अवार्ड 2009|
9) उनहेांने 2007 मे चिदंबरम मे 94 भारतीय विज्ञान कॉग्रेस मे प्रधानमंत्री से स्वर्ण पदक भी प्राप्त किया था |
10) उन्हे 2006 के लिए एमएन चुगानी पूरस्कार मिला था |
( 12 )
.
[ad_2]
Source link